कहीं अंधेरा तो कहीं शाम होगी, मेरी हर ख़ुशी तेरे नाम होगी, कभी मांग कर तो देख हमसे ए दोस्त, होंठो पर हसीं और हथेली पर जान होगी
लोग रूप देखते है ,हम दिल देखते है , लोग सपने देखते है हम हक़ीकत देखते है, लोग दुनिया मे दोस्त देखते है, हम दोस्तो मे दुनिया देखते है।
खामोशी भी इजहार से कम नहीं होती , सादगी भी सिंगार से कम नहीं होती, ये तो अपना अपना ढंग है, दोस्त वर्ना दोस्ती भी प्यार से कम नहीं होती।
महसूस करो तो “दोस्त” कहना, छलकूं तो “जज़्बात” बदलूँ तो, मुझे ‘वक़्त’ कहना, थम जाऊँ तो “हालात”।
ज़िन्दगी के उदास लम्हों में, बेवफ़ा दोस्त याद आते हैं।
ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी, दोस्त की दोस्त मान लेते हैं।
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का, जो पिछली रात से याद आ रहा है।
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ, कीजिये मुझे क़ुबूल मेरी हर कमी के साथ।
मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सजा के लिए, तू दोस्त है तो नसीहत न कर खुदा के लिए।
इज़हार-ए-इश्क़ उस से न करना था ‘शेफ्ता’, ये क्या किया की दोस्त को दुश्मन बना दिया।
इसी शहर में कईं साल से मेरे कुछ क़रीबी दोस्त हैं, उन्हें मेरी कोई खबर नहीं, मुझे उन का कोई पाता नहीं।
इस से पहले की बेवफा हो जाएँ, क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ।
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं, थोड़ी दोस्तों की और मेहरबानी चाहिए।
ऐ दोस्त हम ने तर्क़-ए-मोहब्बत के बावजूद, महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी-कभी।
आ की तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं, जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूँ मैं।
मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है, मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ।
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे, ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिज़ा नहीं है।
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे, मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जान-बा-लब मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे।
Maine Bahut Kuch Paya Is Jahaan Mein …
Khoobsurat Sa Ek Lamha, Kahaani Ban Gya, Jaane Kaise Vo Meri Zindagi Ka Hissa Ban Gya,
Ek Dost Aisa Aaya Meri Zindagi Mein, Jis Se Kabhi Na Tootne Wala Rishta Ban Gya …
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