Md Alquama

माँ के लिए शायरी

माँ के लिए शायरी    Edit By Md Alquama


इतना बिजी नहीं होना चाहिए के अपने ही रूठ जाए लेकिन इतना फ्री भी नहीं होना चाहिए के अपने माँ बाप के सपने टूट जाए

भूल जाता हूँ परेशानियां ज़िंदगी की सारी, माँ अपनी गोद में जब मेरा सर रख लेती है। 

है गरीब मेरी माँ फिर भी मेरा ख्याल रखती है, मेरे लिए रोटी और अपने लिए पतीले की खुरचन रखती है। 

बालाएं आकर भी मेरी चौखट से लौट जाती हैं, मेरी माँ की दुआएं भी कितना असर रखती हैं।

मेरी तक़दीर में कभी कोई गम नही होता, अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता। 

कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती, सब कुछ मिल जाता है पर माँ नहीं मिलती। 

दिल तोड़ना कभी नहीं आया मुझे, प्यार करना जो सीखा है माँ से। 

खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी, जब मैंने मुस्कुराती हुई माँ देखी। 

जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ, मेरे रब के बाद मैं बस अपनी माँ को जानता हूँ। 

माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा, माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा, खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत, सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा। 

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