Md Alquama

पढ़नेवाले की कमी है, वरना…गिरते आँसू भी एक किताब है……!!!


है.. कोई वक़ील,
जहान में… दोस्तों, जो हारा हुआ इश्क़ जिता दे मुझको....!!!

काश बनाने वाले ने दिल कांच के बनाये होते, तोड़ने वाले के हाथ में ज़ख्म तो आये होते.....!!

मत पूछ शीशे से उसके टूटने की वजह, उसने भी मेरी तरह किसी पत्थर को अपना समजा होगा….!!!

मैंने इंसान की वफ़ा पर यकीन करना छोड़ दिया है, जब किस्मत बदल सकती है तो ये मिट्टी के इंसान क्यों नहीं…..!!!

अहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानो का, कही सपनो से लोगो का ऐतबार ना उठ जाए….!!!

उन से कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे, बेशक साँसे उनकी है… पर जान तो मेरी है.…!!!

कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं, मौत इंसानों को आती है यादों को नहीं....!!!

प्यार में मेरे सब्र का इम्तेहान तो देखो, वो मेरी ही बाँहों में सो गए किसी और के लिए रोते रोते…...!!!

ऐ चांद चला जा क्यो आया है मेरी चौखट पर, छोड गये वो शख्स जिसकी याद मे हम तुझे देखा करते थे…..!!!

किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया, बोझ शरीर का नही साँसों का था......!!!

खामोश रह... तनहा बैठ... याद कर उस को, तूने इश्क़ किआ है.... गुनाह छोटा नहीं है तेरा....!!!

हौसला मुज में नहीं उसको भूलाने का, काम सदियों का लम्हों में कहाँ होता है.....!!!

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